अब संचार साथी ऐप का स्मार्टफोन में प्री-इंस्टॉल अनिवार्य नहीं

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सरकार ने बदला नियम, कहा, ऐप का लक्ष्य साइबर अपराधियों से लोगों को बचाना

अब तक 1.4 करोड़ लोग ऐप को कर चुके हैं डाउनलोड

नई दिल्ली। संचार साथी ऐप को मोबाइल फोन पर अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने के आदेश पर विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने इस नियम को हटा दिया है। अब यूजर्स इस ऐप को हटा सकते हैं। केंद्रीय संचार मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि सरकार ने सभी नागरिकों को साइबर सिक्योरिटी देने के इरादे से सभी स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप को पहले से इंस्टॉल करना जरूरी कर दिया था।

यह ऐप सुरक्षित है और इसका मकसद सिर्फ नागरिकों को ऐसे गलत लोगों और कामों की साइबर दुनिया में गलत लोगों से रिपोर्ट करने में जन भागीदारी में बचाना है। यह सभी नागरिकों को मदद करता है, साथ ही यूजर्स को भी बचाता है। ऐप में यूजर्स को बचाने के अलावा कोई और काम नहीं है और वे अपने फोन से इसे हटा सकते हैं।

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उल्लेखनीय है कि अब तक 1.4 करोड़ से अधिक लोग इस ऐप को डाउनलोड कर चुके हैं और हर दिन लगभग 2 हजार धोखाधड़ी की
घटनाओं की जानकारी साझा कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे में छह लाख लोगों ने ऐप डाउनलोड करने के लिए पंजीकरण किया। बता दें नोटिफिकेशन के मुताबिक पहले सरकार ने कहा था कि ऐप फोन में अनिवार्य होगा और इसे डिलीट नहीं किया जा सकेगा ।

ऐप से जासूसी संभव नहीं, आरोप बेबुनियाद
सिंधिया विपक्ष के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को लोकसभा में कहा कि संचार साथी ऐप के जरिए जासूसी बिल्कुल भी संभव नहीं है। यह ऐप लोगों की सुरक्षा और मदद के लिए बनाया गया है। इस ऐप से लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने की सरकार की कोई मंशा नहीं है।

विपक्ष ने उठाए थे सवाल
स्मार्टफोन में ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन को 90 दिनों के भीतर अनिवार्य बनाने के आदेश के बाद विपक्ष ने संसद में कड़ा विरोध दर्ज कराया था । विपक्ष के कई नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार फ्रॉड को रोकने के नाम पर नागरिकों की जासूसी करना चाहती है।

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